तुम पुछो मे करता हु समाधान........
मे ईश्वर नही परमेश्वरनही...
मे आत्मा नही परमात्मा नही...
मार्ग अष्टांग बताउंगा जो दुख का करे निदान..........
तुम पुछो मे करता हु समाधान........
ओ बुद्धा देशना क्या होती आराधना?
मन शुद्धी कि चेतना क्यून करे कोई साधना......
ओ बुद्धा देशना क्या होती आराधना?
मन शुद्धी कि चेतना क्यून करे कोई साधना......
बहुजन हिताय बहुजन सुखाय
धेय्य हो ये अंतिम आत्म सुधार का साध्य हो ये कर्त्यव्य हो ये अंतिम
मैत्री से कर्म हो जो आये सबके काम
पूरब मे भी पश्चिम मे भी
दक्खन मे भी उत्तर मे भी
चारो दिशा मे ज्ञान किरण से होगा सत निर्वाण
तुम पुछो मे करता हु समाधान........
मे ईश्वर नही परमेश्वरनही...
मे आत्मा नही परमात्मा नही...
मे ईश्वर नही परमेश्वरनही...
मे आत्मा नही परमात्मा नही.........
मार्ग अष्टांग बताउंगा जो दुख का करे निदान..........
तुम पुछो मे करता हु समाधान........
प्रवचन भी कितने सारे हो जाये मन विचलित......
केसे बाते मने किसीकी कोई प्रमाण हे क्या निच्चीत.....
मत मनो कोई बात क्योंकी हे वो कालरचित
मत मानो कोई बात क्योंकी हे प्रचलित
न मानो उसे के वो वाणी प्रतिष्ठित, असाधारण हो प्रतीत
बुद्धी उसे स्वीकारे जिसे जनहित साधे जाणो उसे कसोटी पर जो शास्त्र सिद्ध बस मानो वो विचार......
तुम पुछो मे करता हु समाधान........
मे ईश्वर नही परमेश्वरनही...
मे आत्मा नही परमात्मा नही...
मे ईश्वर नही परमेश्वरनही...
मे आत्मा नही परमात्मा नही.........
मार्ग अष्टांग बताउंगा जो दुख का करे निदान..........
तुम पुछो मे करता हु समाधान........